"जिहाले मस्ती मुकुंद रंजिश" यह एक फारसी और ब्रज भाषा का संयोजन है जो महान शायर अमीर खुसरो द्वारा रचित किया गया है।
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जुदाई के मारे यूं ही बेहाल है। जिस दिल की धड़कन तुम सुन रहे हो, वह तुम्हारा या मेरा ही दिल है।
इस वाक्य का अर्थ है मुझ गरीब को रंजिश से भरी इन निगाहों से ना देखें, क्योंकि मेरा बेचारा दिल जुदाई के मारे यूं ही बेहाल है। जिस दिल की धड़कन तुम सुन रहे हो, वह तुम्हारा या मेरा ही दिल है।