क्या सूअर से बनती है?- जानें अविष्कार से दुकान तक चिंगम कैसे बनती है?-2023 | चिंगम कैसे बनता है

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सूअर से बनती है?.. जानें असली राज़.. आविष्कार से लेकर दुकान तक Video के साथ फायदे व नुकसान, चिंगम का इतिहास… निगलने पर क्या होगा?.. चिंगम खाने से दिमाग तेज होता है?.. चिंगम कैसे बनती है?- How chewing gam is make, chingam kaise banta hai, chingam kis chij se banta hai, chingam kisse banta hai, kaise banti hai

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चिंगम कैसे बनती है?-Chingam kaise banti hai

Chingam kaise banti hai: दोस्तों चिंगम जो कि हमारे दैनिक जीवन का कुछ भूल-भुलैया वाला महत्वपूर्ण अंग है! कुछ लोग इसे चबाकर अपना टेंशन दूर करते हैं! तो कुछ लोग अपनी बोरिंगनेस को दूर करने के लिए खाते हैं! तो कुछ अपनी एनर्जी को बूस्ट करने के लिए चुंगम चबाते हैं! और कुछ धरती के इंसान तो ऐसे भी हैं जो शौकिया तौर पर चिंगम को खाते हैं! और बच्चे इसका बबल बनाकर एक दूसरे की टांग भी खूब खींचते हैं मतलब की मजाक उड़ाते हैं!

अगर आपने अपने बचपन में कुछ ऐसी ही मजेदार घटनाओं को अंजाम दिया है तो आप हमें कमेंट में बता सकते हैं हम उसे लोगों तक पहुंचादेंगे… तो वापस चलते हैं हम अपने टॉपिक की तरफ.

अक्सर लोग शुरू में शौकिया तौर पर इसे खाते ही आजमाते हैं लेकिन कई बार धीरे-धीरे कुछ लोगों को इसकी लत लग जाती है हालांकि इसे खाना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन चिंगम खाने की लत कहीं ना कहीं गलत जरूर है तो आज के इस लेख में हम विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे कि चिंगम कैसे बनती है? चिंगम का इतिहास क्या है? और चिंगम खाने के क्या-क्या फायदे व नुकसान है? क्या चिंगम सूअर की चर्बी से बनता है? और अगर कोई व्यक्ति गलती से चिंगम को निगल जाता है तो क्या होगा? इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें तो आइए जानते हैं कि..

Table of Contents

चिंगम कैसे बनती है? (Chingam kaise banti hai?)

दोस्तों फैक्ट्री में चिंगम बनाने की प्रक्रिया हर कंपनी की एक जैसी नहीं होती अगर आपको कोई स्पेसिफिक कंपनी की चिंगम कैसे बनती है जानना हो तो इसकी जानकारी उसी कंपनी के कर्मचारी दे सकते हैं. लेकिन कुछ बेसिक चीजें होती है जिसे चिंगम बनाने के लिए सभी कंपनियां फॉलो करती है. चिंगम को बनाने के लिए मोटे तौर पर 4 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पहला गम बेस दूसरा स्वीटनर, तीसरा फ्लेवर चौथा संरक्षक तत्व

गम बेस (Gum Base)

गम बेस चिकल जैसा प्राकृतिक रेसीन या सिंथेटिक गम होता है, जो चिंगम (Chewing gum) का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है. गम बेस के अंदर मुख्य तौर से तीन चीजों में शामिल होती है रेजीन, मोम और इलास्ट. जिसमें रेजिंग चिंगम को चबाने योग्य बनाता है और मिश्रण को नरम रखने के लिए जिम्मेदार होता है इसके अलावा इलास्टर चिंगम को लचीला बनाए रखने में मदद करता है.

स्वीटनर (Sweetener)

स्वीटनर चिंगम को मीठा बनाने का काम करता है इसके लिए स्वीटनर के रूप में ग्लूकोज, डेक्ट्रोज, एरिथ्रीटोल, मकई का सिरप, मैनीटोल, सॉर्बिटोल, जाइलिटोल, लैक्टिटोल, और मल्टीटोल का इस्तेमाल होता है.

फ्लेवर (Flavor)

यह चिंगम को स्वाद देने का काम करता है जैसा कि हम जानते हैं कि अलग अलग चिंगम में अलग अलग स्वाद होते हैं तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग तरह के फ्लेवर यूज़ करते हैं. चिंगम को स्वादिष्ट बनाने में शामिल चीजें हैं- साइट्रिक, पिपरमिंट, टार्टरिक, लैक्टिक और फ्युमरिक एसिड.

संरक्षक तत्व- Preserving Components

संरक्षक तत्व चिंगम को अच्छा और ज्यादा दिनों तक रहने योग्य बनाता है इसके अंदर कई तत्व शामिल हैं जो अलग-अलग कामों को अंजाम देते हैं जैसे गिरी शरीर नमी को बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसके अलावा चिंगम में लचीलापन बनाए रखने और इसके नाजुकता को कम करने के लिए लेसिथिन हाईड्रोजनेतेड, वेजिटेबल ऑयल, ग्लिसरोल एस्टर, सोडियम और पोटेशियम एस्टरेट्स का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इसे टाइट करने के लिए पौलोल कोटिंग किया जाता है और इसकी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मल्टीटोल सॉर्बिटोल आइसोमाल्ट आदि का इस्तेमाल किया जाता है.

चिंगम संगठक रचना (Components of chewing gum)

उत्पाद:मात्रा
गमबेस25-35%
स्वीटनर 40-50%
ग्लिसरीन2-15%
फ्लेवर (स्वाद )1.5-3%
कलर आवश्यकतानुसार
सॉफ्टनर 1-2%
पोलिओल कोटिंगजरुरत के हिसाब से
Components of chewing gum, Chewing gum meterials

दोस्तों अब हम जान चुके हैं की “चिंगम कैसे बनती है?” और इसके क्या क्या संघटक हैं? लेकिन अब हम इंसानों के लिए ये जानना भी बहुत रोचक होता है की, कोई चीज आखिर बना कैसे? जैसा की हम जानते हैं की…

“आवश्यकता ही अविष्कार की जननी होती है”

तो ऐसी क्या जरुरत पड़ी जिससे की चिंगम का आविष्कार हुआ?.. तो चलिए जानते हैं.

चिंगम का इतिहास (History of Chewing gum)

दोस्तों चिंगम का इतिहास के बारे में आपके लिए काफी रोचक होगा! इसलिए ध्यान से इस लेख को पढ़ें! दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चिंगम को यह नया या आज के युग के इस्तेमाल की चीज नहीं है बल्कि हजारों साल पहले पाषाण काल से इसका इस्तेमाल अलग-अलग रूप में किया जाता रहा है आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि करीब 6000 साल पुराना चिंगम आज तक मौजूद है और यह चिंगम फिनलैंड देश के क्रिकरी में मौजूद है. इस चिंगम के ऊपर दांत के निशान भी मौजूद है अभी तक के प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूनानी लोगों ने भी मेस्टीक गम को चबाया था जिसका निर्माण में मेस्टीक पेड़ की छाल से होता था. इसके अलावा…

  • प्राचीन माया सभ्यता के लोग अपनी भूख व प्यास को मिटाने के लिए चीकल नाम की वही रेसिन चबाते थें, जिसको सपोडीला के पेड़ से निकाला जाता था.
  • पुरातत्वविदीयों ने पाया है की करीब 9000 साल पहले कुछ संबंधी औषधीय उद्देश्यों के लिए वर्च की छाल को चलाते थे.
  • एज्टेक लोग भी चिकल चबाते थें. लेकिन इसके उपयोग को लेकर उनके समाज में बड़े नियम थे. जैसे बच्चों और अविवाहित लड़कियों को इसे चबाने की पूरी छूट थी. विवाहित और विधवा महिलाएं अपनी सांसों को तरोताजा करने के लिए इसका इस्तेमाल निजी तौर से कर सकती थी.
  • पुरुष भी अपने दांतो को साफ करने के लिए इसे गुप्त रूप से इस्तेमाल कर सकते थे.
  • उत्तरी अमेरिका की नेटिव इंडियन भी स्पूस पेड़ के गोंद को चलाते थें. और यूरोपियों के आने तक चलाते रहें.

इस तरह आप समझ गए होंगे कि दुनिया की लगभग सभी सभ्यताओं ने चिंगम का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में जरूर किया है. पहले लोग चिंगम को शक्कर पाउडर में बार-बार डुबोकर चलाते थे जिससे कि वे चिंगम से काफी लम्बे समय तक फायदा उठाते थें या यूँ कहें की लंबे समय तक मजा लेते थें.

चिंगम का अविष्कार (Invention of Chewing gum)

दोस्तों 1840 के दशक के मध्य में जॉन कर्टिस ने रोल को उबालकर कॉर्नस्टार्च में लेपित किया और इसे काट कर पहला कमर्शियल स्प्रूस ट्री गम (Spruce Gum Tree) बनाया था. फिर 1850 के शुरुआती समय में जॉन कोर्टीस ने पोलैंड में दुनिया का पहला चिंगम फैक्ट्री बनाया.

लेकिन गमबेस के लिए स्प्रूस रोल, उतना अच्छा नहीं था. क्योंकि इसका स्वाद कुछ खास नहीं था. साथ ही ज्यादा लचीला न होने की वजह से चबाने पर जल्द ही टूट जाता था. तब उपाय के रूप में आया पैराफिन मोम अब कर्टिस व अन्य लोग चिकल की जगह पैराफिन मोम का इस्तेमाल करने लगे. चिंगम का पहला पेटेंट विलियम एफ सेम्पल ने 1869 में फाइल किया था.

फिर बाद में चिकल और पैराफिन मोम की जगह सिंथेटिक गम का उपयोग होने लगा. और जब रिग्लेय्स कंपनी (Wrigley’s company) आई तो चिंगम और ज्यादा लोकप्रिय हो गया. तो दोस्तों अब तक हमने चिंगम के इतिहास के बारे में अच्छे से जाना तो चलिए अब जानते हैं कि चिंगम आखिर बनता कैसे है?

चिंगम कैसे बनाई जाती है? (Boomer kaise banta hai)

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चिंगम कैसे बनाई जाती है?-Boomer kaise banta hai
  1. सबसे पहले गम बेस को पिघलाकर छान लिया जाता है.
  2. इसके बाद अन्य चीजें जैसे पोषक व गैर-पोषक पदार्थ और स्वाद वाले पदार्थ को उसमें मिक्स किया जाता है.
  3. और इसे तब तक मिक्स किया जाता है जब तक यह गर्म मिश्रण गाढ़ा और टाइट ना हो जाए.
  4. ऐसा करने से चिंगम लचीला भी बनता है. इसके बाद
  5. इसे चिकना बनाने एवं आकार देने के लिए एक्स्ट्रडर तकनीक का इस्तेमाल होता है.
  6. जिसमें अलग-अलग प्रकार के लोगों के पसंद के अनुसार आकार दिया जाता है
  7. उदाहरण के तौर पर आपने चिंगम को क्यूब के रूप में, चौक के आकार में, और दिल के आकार में देखा होगा.
  8. अंत में चिंगम पर पॉलीओल छिड़का जाता है.
  9. और तापमान नियंत्रित कोटिंग कलर की परत चढ़ाई जाती है.
  10. फिर पैकिंग कर दी जाती है. और इस तरह से पूरी चिंगम तैयार हो जाती है.

चिंगम खाने के फायदे (Benefits of chewing gum)

  1. चिंगम खाने से पूरे मुंह, चेहरे और जबड़े की एक्सरसाइज होती है.
  2. साथ ही चेहरे की मसल्स स्वस्थ व मजबूत होते हैं.
  3. इसे चबाने से दातों में जमे हुए खाने के टुकड़े हट जाते हैं.
  4. जिसे दांतो की सफाई अच्छे से हो जाती है और इस तरह हमारे दांत कैविटीज और प्लाक की समस्या से बच जाते हैं.
  5. चिंगम चबाने के दौरान हमारी फोकस क्षमता/अलर्टनेस या कंसंट्रेशन पावर ( Concentration Power ) बढ़ जाती है.
  6. क्योंकि चिंगम को चबाने से दिमाग में रक्त का फ्लोर बढ़ जाता है जिसे दिमाग को अच्छी तरह से ऑक्सीजन मिलता है. इसे दिमाग अच्छे तरीके से काम पर ध्यान दे पाता है.
  7. चिंगम चबाने से मुंह में लार यानी सलाइवा की मात्रा भी बढ़ती है जो ओरल हेल्थ के लिए अच्छा होता है इसे मुंह की दुर्गंध की समस्या भी दूर होती है.
  8. और इसका एक बड़ा फायदा यह है कि आप इसके जरिए स्मोकिंग की लत से छुटकारा पा सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको खास तरीके से बने निकोटीन युक्त चिंगम का इस्तेमाल करना ज्यादा फायदेमंद है.
  9. यह आपको धूम्रपान की गंदी लत से छुटकारा दिला सकता है.

चिंगम खाने के नुकसान (cons of chewing gum)

जैसा कि हम सब जानते हैं कि किसी भी चीज की ज्यादा मात्रा जहर का काम करती है! ठीक उसी प्रकार चिंगम के ज्यादा सेवन करने से- Chingam khane ke nuke nuksan

  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या पैदा हो सकती है.
  • इसके अलावा चिंगम का सेवन जंक फूड की इच्छा को बढ़ा सकता है.
  • क्योंकि चिंगम को आर्टिफिशियल यानी मानव निर्मित चीजों से बनाया जाता है,
  • इसलिए अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने से दांत व जबड़ों को नुकसान हो सकता है
  • इसके अलावा इससे पाचन तंत्र में भी खराबी हो सकती है
  • क्योंकि इसे पचने में काफी समय और पाचन तंत्र के पाचक रस लगते हैं.
  • और कभी कभार यह गले में भी अटक जाता है जिससे काफी परेशानी बढ़ जाती है.

FAQ:- अक्सर लोगों के पूछे जाने वाले सवाल

चिंगम निगलने पर क्या होगा? (What happens if you swallow chewing gum?)

दोस्तों अगर कोई इंसान चिंगम को गलती से निगल जाता है और अगर पेट में चला जाता है तो घबराने की बात नहीं है. यह पेट में पच जाता है. हालांकि इससे पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है. क्योंकि पचने में 2 से 3 दिन लग जाते हैं. और दो से 3 दिन के अंदर यह मलद्वार से बाहर निकल जाता है. लेकिन अगर कोई बार बार इसे निगल जाता है तो उसे कब्ज और पेट की गंभीर समस्या हो सकती है और अगर गले में फंस जाए तो काफी परेशानी हो सकती है इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. या पानी से निगल सकते हैं.

क्या चिंगम सूअर से बनता है? (Is chewing gum made from pig skin)

दोस्तों हमारे समाज में चिंगम को लेकर एक औधारना बहुत ही प्रसिद्ध है कि चिंगम सुअर का इसतेमल करके बनाए जाते है. लेकिन ये बात गलत है. क्योंकि आपने इसके पुरे बनने की प्रोसेस में जाना कि इसका कहीं इस्तेमाल नहीं किया गया. इसके साथ आज तक इस बात का कोई प्रूफ नहीं मिला. लेकिन ऐसी संभावनाएं हो सकती है क्योंकि चिंगम के अंदर कुछ ऐसी चीजें मिलाई जाती है जो सूअर के मांस से प्राप्त हो सकती है. पर वास्तविक बात क्या है कोई नहीं जानता. लेकिन आज कुछ कंपनियां दावा करती है कि उनके प्रोडक्ट शाकाहारी स्त्रोत से बने हैं. इस को पहचानने के लिए आप चिंगम या किसी भी प्रोडक्ट के पैकेजिंग पर आगे या पीछे ग्रीन डॉट देख सकते हैं जैसे नीचे पिक्चर में दिखाया गया है.

क्या चिंगम खाने से दिमाग तेज होता है?

चिंगम खाने से दिमाग तेज़ नहीं होता बल्कि, चिंगम चबाने के दौरान हमारी फोकस क्षमता/अलर्टनेस या कंसंट्रेशन पावर ( Concentration Power ) बढ़ती है. क्योंकि चिंगम को चबाने से दिमाग में रक्त का फ्लोर बढ़ जाता है जिसे दिमाग को अच्छी तरह से ऑक्सीजन मिलता है. इसे दिमाग अच्छे तरीके से काम पर ध्यान दे पाता है.

चिंगम क्या चीज से बनता? (Chingam kaise banti hai ?)

चिंगम को बनाने के लिए मोटे तौर पर 4 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. पहला गम बेस दूसरा स्वीटनर, तीसरा फ्लेवर चौथा संरक्षक तत्व…

सिगरेट (धूम्रपान) की लत कैसे छोड़े? (how to quit smoking, alcohol?)

बहुत लोग आज अपनी धूम्रपान की गलत आदतों को छोड़ना (quit smoking, alcohol) चाहतें हैं. और सोंचते हैं की स्मोकिंग कैसे बंद करे? (how to quit alcohol) धूम्रपान छोड़ने की दवा क्या है? लेकिन उन्हें सही समाधान नहीं मिलती. लेकिन आप चिंगम के जरिए स्मोकिंग की लत ( धूम्रपान की लत, सिगरेट की लत ) से छुटकारा पा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको खास तरीके से बने निकोटीन युक्त चिंगम का इस्तेमाल करना ज्यादा फायदेमंद है. यह आपको धूम्रपान की गंदी लत से छुटकारा (स्मोकिंग कैसे बंद करे) दिला सकता है.

फ्लेवर वाला पहला चिंगम किसने बनाया था?

फ्लेवर वाला पहला चिंगम 1860 में कॉलगन ने बनाया था.

चिंगम का पहला पेटेंट किसने फाइल किया था?

चिंगम का पहला पेटेंट विलियम एफ सेम्पल ने 1869 में फाइल किया था.

पहला कमर्शियल चिंगम किसने बनाया था?

1840 के दशक के मध्य में जॉन कर्टिस ने रोल को उबालकर कॉर्नस्टार्च में लेपित किया और इसे काट कर पहला कमर्शियल स्प्रूस ट्री गम (Spruce Gum Tree) बनाया था.

दुनिया का पहला चिंगम फैक्ट्री किसने बनाया था?

फिर 1850 के शुरुआती समय में जॉन कोर्टीस ने पोलैंड में दुनिया का पहला चिंगम फैक्ट्री बनाया.

चिंगम कैसे बनती है? किस चीज से बनती है?

दोस्तों चिंगम बनाने की प्रक्रिया एक चर्बीली पदार्थ को उबालकर एक गोलाकार गोली बनाने से होती है, जिसमें आम तौर पर चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम और रंग मिलाए जाते हैं।

चिंगम में क्या क्या मिलाया जाता है?

चिंगम में चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम, और रंग मिलाए जाते हैं।

चिंगम बनाने में कौन से जानवर का मांस मिलाया जाता है?

चिंगम बनाने में किसी भी जानवर का मांस नहीं मिलाया जाता है। आज तक जानवर का मांस मिलाने के बारे में कोई प्रूफ नहीं मिला. लेकिन ऐसी संभावनाएं हो सकती है क्योंकि चिंगम के अंदर कुछ ऐसी चीजें मिलाई जाती है जो सूअर के मांस से प्राप्त हो सकती है.

चिंगम कौन से वृक्ष से बनता है? चिंगम बनाने के लिए किस चीज का प्रयोग किया जाता है?

चिंगम बनाने के लिए वृक्षों का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह एक औद्योगिक उत्पाद है और वृक्षों से नहीं बनता। चिंगम बनाने में आम तौर पर चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम और रंग का प्रयोग किया जाता है।

दुनिया का सबसे पुराना चिंगम कहाँ है?

दोस्तों करीब 6000 साल पुराना चिंगम आज तक मौजूद है और यह चिंगम फिनलैंड देश के क्रिकरी में मौजूद है.

च्विंगम किस चीज की बनी होती है?

चिंगम एक चर्बीली पदार्थ की गोलाकार गोली होती है जो चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम और रंग से मिलकर बनती है।

चिंगम की निर्माण प्रक्रिया क्या होती है?

चिंगम की निर्माण प्रक्रिया में चीनी और ग्लूकोज सिरप को एकत्रित किया जाता है और फिर उसमें चिंगम बेस, परफ़्यूम और रंग मिलाए जाते हैं। इस मिश्रण को उबालकर एक गोलाकार गोली बनाई जाती है।

क्या आप बता सकते हैं कि चिंगम किस चीज से बनती है?

चिंगम बनाने के लिए चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम, और रंग का प्रयोग किया जाता है। चिंगम एक चर्बीली पदार्थ की गोलाकार गोली होती है।

चिंगम मांसाहारी है या शाकाहारी और किस पदार्थ से बनाता है?

दोस्तों सच बताऊँ तो आज तक जानवर का मांस मिलाने के बारे में कोई प्रूफ नहीं मिला. लेकिन ऐसी संभावनाएं हो सकती है क्योंकि चिंगम के अंदर कुछ ऐसी चीजें मिलाई जाती है जो सूअर के मांस से प्राप्त हो सकती है. और इसी वजह से हमें कहना पड़ता है की चिंगम शाकाहारी उत्पाद है जिसमें किसी भी जानवर का मांस नहीं मिलाया जाता। इसे चीनी, ग्लूकोज सिरप, चिंगम बेस, परफ़्यूम और रंग से बनाया जाता है।

निष्कर्ष-

दोस्तों हर चीज के फायदे व नुकसान दोनों होते हैं. और अगर आप जरूरत के हिसाब से इसका उपयोग करेंगे तो यह आपके लिए फायदेमंद होगा नहीं तो, है तो यह बनावटी चीज ही! चाहे कितने भी फायदे हो!!

और बच्चे को इसके इस्तेमाल करने से बचाना चाहिए क्योंकि बच्चे अक्सर इसे निगल जाते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि आपको चिंगम कैसे बनती है और इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल गए होंगे और आप संतुष्ट होंगे हमारे प्रयासों से लेकिन फिर भी इससे जुड़ी या कोई भी सवाल आपके मन में है तो आप हमें बेझिझक नीचे कमेंट में बता सकते हैं.

साथ ही हमारी कोशिश आपको कैसी लगी यह भी आप हमें कमेंट में जरूर बताएं हम आपके कमेंट का शिद्दत से इंतजार करते हैं क्योंकि आपके कमेंट हमें और अच्छे कामों को करने की मोटिवेशन देते हैं.

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